असली प्रेम

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असली प्रेम

हीटर का एक पॉइंट बढ़ा दे आशू। ठंड बढ़ गई है। लगता है आज सीजन की पहली बर्फ गिरेगी। और सुन। तेरा खाना वहाँ ओवन के पास ही रखा है। गरम करके खा ले। मुझे ये ऐस्से कंप्लीट करना है।” स्कूल से लौटकर कंधे से बैग उतारते बेटे से श्रुति ने कहा।

“ओ मॉम डार्लिंग। एस्से कंप्लीट करने के बाद खाना दे देना पर … खाऊंगा मैं तुम्हारे हाथ से ही।” तेरह साल के आशू ने मां का कंधा पकड़ते हुए कहा।

“बड़ा हो गया है रे। कब तक मां के पल्लू से बंधा रहेगा। ट्यूब से अकेला स्कूल जाता है। दोस्तों से दिन भर चैट करता है और निवाले खाता है मां के हाथ से। अच्छा तू चेंज कर ले। तब तक मैं कंप्लीट कर लेती हूँ। पापा भी आते ही होंगे।” श्रुति ने बेटे के सर पर हाथ फेरते हुए कहा।

बेटा कपड़े बदलने की बजाय मां के सामने राइटिंग टेबल के पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गया और स्नेह के साथ मां को देखने लगा।

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मेरे पड़ोस में एक #भईया रहते हैं | आज से लगभग पंद्रह साल पहले उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी | बस किसी तरह गुजर बसर चल रहा था | हमारे #पिता जी एवं मोहल्ले के अन्य लोगो के #सहयोग से उनका #विवाह करवाया गया |

उस समय भईया #साइकिल से कपड़े की फेरी करते थे, दिन रात गली मोहल्लों में साइकिल चलाते | कभी रेडीमेड #कपड़े बेचते तो कभी आइसक्रीम तो कभी मेले ठेले में #मूंगफली बेच लेते थे | किसी एक चीज पर टिके नहीं, मतलब जो काम मिल गया उसे कर लिया |

हालांकि #मेहनत बहुत करते थे, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए यह काफी नहीं था | उनकी #धर्मपत्नी जी भी बहुत ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी, लेकिन व्यवहार से बहुत ही #सुशील एवं #सज्जन थी | विवाह के समय वो बारंहवी पास थी और भैया दसवी फेल |

फिर भी उनका विवाह हो गया |

इस बीच भईया के दिमाग में पता नहीं कहां से आया कि उन्होंने #भाभी को आगे की #शिक्षा पूरी करने के लिए प्रेरित किया | पैसा जेब में फूटी कौड़ी नहीं था, फिर भी #कर्जा उधार ले के बीए में एडमिशन कराया | लोगो ने ताने भी मारे दो रोटी सुकून से खाओ कहां पढ़ाई लिखाई के चक्कर में पड़े हो |

लेकिन उन्होंने लोगो की न सुनते हुए पढ़ाया और भाभी ने भी मन लगाकर पढ़ाई की | बीए के बाद एम.ए फिर बी.एड फिर कोई तो और शिक्षिका बनने का कोर्स किया, कोचिंग आदि किया और फिर एक दिन मेहनत यश लेकर आई और #जौनपुर के किसी स्कूल में उनकी नियुक्ति हो गई और पूरे मोहल्ले में #मिठाई बंटी |

भईया आज परचून की दुकान चलाते हैं और भाभी इंटरकॉलेज में शिक्षिका हैं | साइकिल की जगह अब #स्कूटी आ गई है | झोपड़ी से 2 मंजिला #मकान हो गया है लेकिन शिक्षिका होने के बावजूद उनका स्टेटस आड़े नहीं आया | गर्मी की छुट्टियों में #दुकान पर भी बैठती है और भइया का हाथ बंटाती है |

और भईया अपनी #मेहरारू और दुई ठो छोटे छोटे बच्चो के पीछे बैठाकर #बाजार घुमाने ले जाते है |

यही तो असली #प्रेम था,
बाकी अन्य प्रेम से तो वाकिफ ही है आप ?

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