एक जमाना ऐसा भी था
औरो का तो पता नही पर हम उस जमाने के है जब समोसा 1 रुपये में मिल जाता था
आज 10 rs दे कर भी वो स्वाद नहीं मिलता जो उस वक्त आता था ,
हम उस जमाने के साक्षी है जब प्यास बुझाने के लिए एक कंचे वाली बोतल में बस थोड़ा सा नमक डाल कर पी जाते थे
उस जमाने में कोका कोला और रिमझिम आती थी
और सबसे अच्छी गोल्ड स्पॉट
आज बस सब क्लियर नो बकवास वाली ड्रिंक आती है ,

हम उस जमाने से आते है जब फाउंटेन पेन में इंक भर कर ले जाते थे और अक्सर ही शर्ट पर दाग लगा आते थे
साथ में इंक की बॉटल को कागज या पन्नी में लपेट कर अपने बैग में रख लेते थे ,
हम उस जमाने को जानते है जब फेविकोल को हाथ में लगाकर सूखने पर उसे खींच के निकालने से खुश हो जाते थे
उम्मीद है आप सब ने ऐसा किया होगा
हम उस जमाने को जीते है जब बारिशों में एक कीड़ा जिसे हेलीकॉप्टर कहते है के पूंछ पर धागा बांध कर उसके साथ साथ हम भी खुद को उड़ता हुआ महसूस करते थे ,
जब बारिश के पानी में जानबूझ कर छप्पाक कर के कूदते थे
और पूरा मोहल्ला नाप आते थे बरसात में
हम उस जमाने को मानते है जब मां बाप को सबसे ऊपर रखा जाता था ,
जब संयुक्त परिवार होते थे , जब दुख साझा हुआ करते थे
जब आपका पूरा पड़ोस आपको जानता था ,

हम उस जमाने को जीते है जब रामायण के वक्त पूरा मोहल्ला वीरान हो जाया करता था ,
जब रंगोली देख कर मन खुश हो जाता था ,
देर रात जब कोई अच्छी पिक्चर आती तब किसी पड़ोस के घर का टीवी पूरे मोहल्ले का टीवी बन जाता था ,
हम उस जमाने को सही मानते है जब बच्चे बाहर से गंदे होकर आते थे ,
गिरते थे और खुद ही उठ जाते थे ,
तब मोबाइल नही थे इसलिए सब एक दूसरे से जुड़े हुए थे
गुड्डे गुड़िया का खेल , खो खो , पकड़म पकड़ाई , रस्सी कूदना जैसे खेल में ही मजा आता था ,
जब मम्मियां घर पर सिलाई ले कर बैठी रहती थी और घर के सारे काम भी कर लेती थी ,
हम उस जमाने से है जब किताबे पुरानी ही खरीद लाते थे और उसी में खुश हो जाते थे
जब साथ में रेनॉल्ड्स का पेन ले आते थे
जब कापी के बचे हुए कागज को सील कर रफ कापी बना लेते थे ,
हम सच में उस जमाने में जी रहे थे जब रिश्ते सच में रिश्ते हुआ करते थे,
जब किसी का कहना बुरा नही लगता था
जब घर में किसी का आना बोझ नहीं लगता था

जब मुंह से कह देने भर से रिश्ता कायम हो जाता था और इसे मरते दम तक निभाया जाता था,,,🙏🙏🙏