💞 “बनके #अजनजबी••• मिले थे”…
#ज़िन्दगी••• के #सफर मे”…!
💞 “इन #य़ादो••• के #लम्हो को”…
#मिटायेगे••• नही”…!
💞 “अगर••• #याद रखना”…
#फितरत••• है आपकी”…!!
💞 “तो #वादा है••• #हम_भी आपको”…
“कभी••• #भुलायेगे नहीं”…!!

खामोशी
कभी-कभी शब्द ,
जो नहीं कह पाते,
वो खामोशी कह ,
जाती है ,
व्यंग्य बाण नश्तर से,
चुभते है,
पर एक चुप सौ बातों,
को मार जाती है ।
बोलने का लहजा,
आपसी प्यार को,
बताता है,
शब्दों से जो नहीं,
समझ आता,
वो एक मौन कह ,
जाता है ।
शब्दों के ककहरा,
में वो शब्द नहीं,
आता है,
जिससे शब्दों के,
बोलने का जायका,
समझ आता है ।
शब्दों की चोट,
कुछ ऐसी दिल पर,
लग जाती है,
मरहम लाख लगा लो,
खामोशी रिश्तों में,
आ जाती है ।

हो गया सब कुछ
फिर से पहले जैसा..!
खामोश ही था कल भी मैं
खामोश आज फिर कोई कर गया..!!
षड्यंत्र कहो या दुआ किसी की
रंग आखिर ले ही आई..!
चंद उम्मीदों के बदले आज फिर
ठोकर कोई मार गया..!!
उजाड़ने वालो को क्या पता
कितनी मेहनत से बना था घोंसला..!
पल पल डाला जिसने अपना प्रेम जहां
फिर से सब कुछ उसका छीन गया..!!
हो गया सब कुछ
फिर से आज पहले जैसा..!!
सौदा – हमारा कभी बाजार तक नहीं पहुंचा,
इश्क था जो कभी इज़हार तक नहीं पहुंचा,
यूं तो गूफ्तगू बहुत हुई उनसे मेरी,
सिलसिला कभी ये प्यार तक नहीं पहुंचा,,,
तुम्हारा प्रेम तो चांद के समान ही
घटता और बढ़ता रहा सदा
कभी पूर्णमासी के समान अत्यंत तो
कभी अमावस जैसा विलुप्त
और मैं हमेशा आकाश बनकर
तुम्हारी प्रतीक्षा में लीन रहा।।।
मैं बढ़कर हाथ मिलाता था
हर रिश्ता खूब निभाता था
मैं सबको गले लगाता था
रूठों को सदा मनाता था
मैं खूब लतीफे गाता था
कितना ज्यादा मुस्काता था
आंसू बहने से पहले ही
मैं कांधा सदा बढ़ाता था
फिर भी जाने वालों से मैं
कोई भी गिला नहीं रखता
आने वालों से कहता हूं
मुझको अब फ़र्क नहीं पड़ता
अब खुद को यूं समझाता हूं
अब कम ही आता जाता हूं
हर ज़र्द झाड़ता जाता हूं
खुद ही से कहता जाता हूं
यूं तो दिल के सब अच्छे हैं
सबकी अपनी मजबूरी है
ये दुनिया बड़ी हरामी है
मुझमें थोड़ी न ख़ामी है
कोई जो बोले झूठ अगर
पहले मैं लहज़ा चखता हूं
मैं ज़ोर से हामी भरता हूं
फिर खूब देर तक हँसता हूं
अब ज़रा फासला रखता हूं
इन हालातों पर रोना था
मुझको ऐसा न होना था
मैं झूठ–मूठ ही कहता हूं
मुझको ये बुरा नहीं लगता
लेकिन मैं सबसे कहता हूं
मुझको अब फ़र्क नहीं पड़ता

शादी के बाद पति के साथ अच्छा संभोग जीवन की आधी परेशानी खत्म कर देता है, लेकिन तभी जब वह प्रेम वश किया गया हो ना कि प्रहार वश। एक लड़की के लिए अंजान घर में यदि कुछ आसान हो सकता है तो वह है उसके पति का साथ, क्योंकि वही है जो इस समय सबसे ज्यादा उसे समझता है। बाकियों के लिए तो वह बस एक नईनवेली जिम्मेदार बहू है।
मैं अपने मां-बाप की अकेली बेटी थी, मेरे साथ थे तो बस दो भाई, वो भी मुझसे बड़े। मां हमेशा से चाहती थीं कि मेरी शादी ऐसे घर में हो जहां सुख सुविधाओं की कमी ना हो। मैं दिखने में सुंदर थी, पापा और भाइयों की अच्छी नौकरी थी, तो सभी चाहते थे कि मेरी शादी एक अच्छे घर में हो।
मेरे लिए कई रिश्ते देखे गए, मैंने कई लड़कों से बात की। मुझे सब ठीक लगे, लेकिन मेरे मां-बाप और भाई को कुछ ना कुछ कमी लगती थी। मेरे पापा और मां चाहते थे कि लड़का सरकारी नौकरी वाला हो, अच्छी पोस्ट हो। भाई चाहते थे कि लड़के के पास संपत्ति अच्छी हो। मां चाहती थीं कि लड़का इकलौता हो या एक बहन हो। खैर, सभी की मुराद पूरी हो गई, जब मेरी शादी के लिए सुमित का रिश्ता आया। सचिवालय में अच्छी पोस्ट, पापा की भी सरकारी नौकरी, दिल्ली-लखनऊ में फ्लैट, गांव में कई एकड़ जमीन – सब कुछ था उनके पास। मैं भी उनके घरवालों को खूब पसंद आई और मैंने बात की तो पहले दिन मुझे भी अच्छे लगे। लेकिन जैसे-जैसे बात आगे बढ़ी, उनका मेरे ऊपर हर चीज का दबाव बनने लगा। मैंने अपनी मां से बोला, मां ने कहा कि जब कोई इंसान जिंदगी में आता है तो हमें उसके हिसाब से ढलना चाहिए।
मेरी शादी हो गई और एक महीने तक सब ठीक रहा। लेकिन जब मैं इनके साथ अपना घर छोड़कर के दिल्ली से केरल गई तो मुझे पता चला कि ये इंसान तो शराब भी पीते हैं। जब मैंने पूछा कि आप तो शराब नहीं पीते, उन्होंने हंसते हुए बोला, “तुमने कभी पूछा मुझसे?” मैंने तुरंत बोला, “हां, पापा से पूछा था, उन्होंने कहा ऐसा कुछ नहीं है।” मैंने अपनी मां से इस बारे में बात की, मां ने बोला, “बेटा, रिश्ता अच्छा था, स्टेटस अच्छा था, सरकारी नौकरी थी, इसलिए शराब की बात छुपाई गई और इसमें कोई बुराई थोड़ी ना है।”
मैं स्तब्ध थी। दो दिन बाद बड़े भैया को फोन किया, उन्हें बताया तो उन्होंने बोला, “और किस जमाने में जी रही हो? आजकल तो सभी पीते हैं, थोड़ा एडजस्ट करो।” मैंने मन को रोकते हुए उन्हें मना कर दिया, लेकिन कुछ समय बाद मैंने देखा कि मेरे पति के फोन पर अन्य लड़कियों के मैसेज आते हैं। हिम्मत जुटाकर जब मैंने बात की तो वो मुझ पर भड़क गए और हिदायत दी कि आज के बाद मेरा फोन कभी मत छूना। लेकिन कुछ समय बाद उनके सोने के बाद मैंने फोन खोलकर देखा तो मेरे होश उड़ गए। उनका चक्कर एक साथ 2-3 लड़कियों से था। सारी रात मुझे नींद नहीं आई। जब सुबह ऑफिस जाने का समय हुआ, तो मैंने कहा, “जब आपको यही सब करना था तो शादी क्यों की और मेरी जिंदगी क्यों बरबाद की?”
इस पर गुस्सा होकर उन्होंने मुझे जोर से एक तमाचा मारा और कहा, “जब मना कर दिया तो क्यों फोन छुआ? खबरदार जो किसी को बताया नहीं, तो मारकर यही केरल में दफना दूंगा।” मैं डर गई और अपने पापा और मां को फोन करके सारी बात बताई। उन्हें अभी भी लग रहा था कि गलती मेरी है, मुझे ऐसे किसी सरकारी नौकरी करने वाले का फोन नहीं देखना चाहिए। असल में उन्हें मुझसे ज्यादा उस लड़के की सरकारी नौकरी ज्यादा अच्छी लग रही थी।
लेकिन यहां पर मेरे पापा ने गलती कर दी। एक अच्छा प्लान बनाने और बेटी की बातों पर यकीन करने की बजाय उन्होंने सीधा मेरे पति को फोन कर दिया और कहा, “दामाद जी, अब ये सब लड़की वाला काम छोड़ दीजिए, ये सही नहीं है।” मेरे पति ने कहा, “जी बिल्कुल, आपकी बेटी को कुछ गलतफहमी हुई है,” और अच्छे से बात करके फोन रख दिया। शाम को घर आए और खाना खाया। जब मैं बेड पर सोने जा रही थी, तो उन्होंने मुझे दो थप्पड़ मारे और कहा, “क्या जरूरत थी बताने की?” मैंने जवाब में कहा, “मेरी जिंदगी खराब करने का कोई हक नहीं है आपको।” इस पर वह गुस्सा हुए और बगल में रखी एक स्टील की रोड से मेरी पिटाई की। उन्होंने इतना मारा कि मेरे कमर, हाथ और सीने पर गहरे निशान पड़ गए।
कुछ देर बाद जब मैं रोती हुई शांत हुई, तो उन्होंने जबरदस्ती मेरे साथ शारीरिक शोषण किया। मैं दर्द से कराह रही थी, लेकिन उन्हें मजा आ रहा था। जब सब कुछ मेरे वश से बाहर हो गया, तो मैंने जोर का धक्का देकर कमरे से बाहर भागी और गेट खोलकर सड़क पर भागती रही। लोग मुझे देख रहे थे। तभी बगल के क्वार्टर में दिल्ली के एक और कपल रहते थे, मैंने दरवाजा खटखटाया। जब तक वे खोलते, तब तक लोगों की भीड़ लग गई थी। उन्होंने मुझे तुरंत अंदर खींचा और तब मैंने ध्यान दिया कि मेरे शरीर पर सिवाय मंगलसूत्र और हाथ में चूड़ी के अलावा कुछ भी नहीं है, क्योंकि उसमें सब कुछ उतार फेंका था। मैं अंदर से आहत हो गई और उन्होंने मुझे कपड़े पहनाए, पानी दिया। मैं बोलने की स्थिति में नहीं थी, और नींद की दवा खाकर सो गई।
सुबह उठने पर उन्होंने घर पर फोन किया, जिसके बाद मेरे पापा और भाई आए और मुझे वापस लेकर आ गए। मेरी शादी सिर्फ 1 महीने चली। उसके बाद भी मेरे घरवाले इस कोशिश में थे कि हमारे बीच सुलह हो जाए, क्योंकि सरकारी नौकरी और अच्छी प्रॉपर्टी वाले अच्छे रिश्ते जल्दी नहीं मिलते। लेकिन मैंने माना नहीं और हमारा डिवोर्स हो गया। लेकिन उसके बाद जब मैंने दूसरे लड़कों से शादी की बात की तो लोग मुझे एक्सेप्ट नहीं करते क्योंकि मेरे ऊपर डिवोर्स का टैग लगा है। बिना मेरी गलती के भी मुझे सजा मिल रही है, और घर में भी मां और भाई इस स्थिति के लिए मुझे दोषी मानते हैं। उनका कहना है कि अगर मैं समय से समझौता करती तो ये दिन नहीं देखना पड़ता।
मैं सभी लड़कियों से यही गुजारिश करूंगी कि सरकारी नौकरी और अच्छी प्रॉपर्टी से ज्यादा जरूरी है आप यह जानिए कि जिससे आपकी शादी हो रही है, उसका चरित्र कैसा है। क्योंकि प्रॉपर्टी और सरकारी नौकरी सिर्फ आपको बाहरी खुशी देगी, लेकिन आप अच्छी जिंदगी जीना चाहती हैं और अंदर से खुश होना चाहती हैं, तो एक चरित्रवान लड़के और परिवार से शादी करें। नहीं तो इस दुनिया में एक बार शादी हो जाए, तो आपके मां-बाप और भाई भी दुख के समय साथ नहीं देते हैं।