जवान होती लड़की पर सभी की नजर होती है
परिवार के जितने भी रिश्तेदार हैं वह शादी के लिए पापा से अक्सर बोलते थे , बिटिया बड़ी हो रही है आप शादी देखो …कभी दादी बोलती थी बिटिया बड़ी हो रही है अब कहीं अच्छा लड़का देखना शुरू करो, पिताजी भी हां करके फिर ध्यान नहीं देते थे।
धीरे-धीरे इंटर पास हो गए ग्रेजुएशन शुरू हो गया और हम बाहर शहर में रहने लगे थे.
घर में रिश्तेदारों की वही बातचीत चलती रहती थी बिटिया बड़ी हो गई है क्यों नहीं देख रहे हो लड़का ,देखो लड़का ..
देखते देखते समय गुजर रहा हो … मेरे पापा और मेरे भैया दोनों जैसे सुनते तो थे पर ध्यान न देते हो …
अभी कहीं कोई लड़का देखा नहीं जा रहा था …
धीरे-धीरे ग्रेजुएशन फाइनल ईयर आ गया और मैं 20 साल की हो चुकी थी ।।
आगे मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था ,लेकिन मैं अपना साल बेकार नहीं करना चाहती थी ,इसलिए मैंने अपना एडमिशन ऑप्टोमेट्री में ले लिया था, साथ में कंप्यूटर भी सीखने लगी थी मैं….
कुछ एक महीने बाद एक रोज मैं अपने पापा को किसी से लड़का पूछते हुए सुना कि मेरी बेटी के लिए कोई लड़का हो तो बताना…
तब मैं खुद अपने पापा से पूछा ,”अभी तक तो जाने कितने लड़के लोग आपको बता रहे थे तब तो आपने एक बार भी नहीं देखा ,पता नहीं कहां-कहां के लड़के बताए गए , कौन-कौन सी नौकरी करते हुए लड़के बताएं, कितने ऐसे लड़के बताए गए जो बहुत मजबूत परिवार से थे , आपने उन्हें तो किसी को नहीं देखा, अब उनकी सब की शादियां हो गई और अब आप खुद लड़के पूछ रहे हो समझ में नहीं आया”।
तब उस वक्त मेरे पापा ने जो जवाब दिया वह मैं आप सबके बीच रखूंगी उसे वक्त मेरे पापा ने मुझसे कहा कि तब तुम इंटर कर रही थी, तुम मजबूत नहीं थी , इंटर करने के बाद शायद तुम अपने जीवन में मुश्किल भरे दिन आने के बाद वह फैसला नहीं ले पाती जो तुम्हें आर्थिक तौर पर मजबूत करते हैं तुम्हे मुश्किल वक्त में दूसरो के सहारे ही रहना पड़ता, ग्रेजुएशन में भी मैंने तुम्हें मजबूती देने के लिए रोक रखा था कि मेरी बेटी का ग्रेजुएट हो जाएगा उसके बाद ही मैं लड़का देखूंगा और अब तुम ऑप्टोमेट्री कर रही हो अब मुझे पता है कि अगर मेरी बेटी को जीवन में कभी भी आर्थिक तौर पर मजबूत होना होगा तो मेरी बेटी स्वेच्छा से खड़ी हो जाएगी, मेरी बेटी रिश्ते में बंधेगी जरूर पर रिश्ते की घुटन बर्दाश्त करने के लिए नहीं रिश्ते को प्रेम से सिंचित करने के लिए… या कभी जीवन में ऐसा कोई पल आ गया जिस पल मेरी बच्ची अकेली पड़ गई तो वह अपने जीवन को स्वाभिमान से जी सकेंगी…
भले मां-बाप अपनी बेटी को देने वाले रूपों में लाख डेढ़ लाख कम दे..पर अपनी बेटी को ऐसा हुनर जरूर सिखा दे ऐसी काबिलियत जरूर भर दे कि वह जीवन के मुश्किल हालातो में अपने परिवार और अपने बच्चो को सिर्फ रोटियां बनाकर खिलाने की ही नही बल्कि आर्थिक मजबूती भी देने में पीछे ना हटे..
उस वक्त तो मेरी समझ में ये बात बिलकुल भी नही आई थी पर अब जरूर आ चुकी है, और ये बात तो मैं भी कहूंगी, कि बेटियो की महंगी शादी भले ही ना करो पर उनके उनके बुरे वक्त के लिए काबिलियत जरूर देना..
कभी उनकी पढ़ाई उनकी ससुराल वालो के भरोसे मत छोड़ना, खुद पढ़ाना , और फिर ही शादी करना..
नौकरी करना जरूरी नहीं.. पर इतना काबिल कर देना कि उन्हेंबुरे वक्त में हुनर का उपयोग करने के लिए उन्हें किसी के आगे हाथ ना फैलाना पड़े,
बहुत सी बेटियां आज भी ना चाहते हुए अपने भविष्य को लेकर बुराई भरे ससुराल से इसीलिए निकल नही पाती कि वो आगे क्या करेगी..
या पति के ना होने पर लाचार या मजबूर हो जाती है बेटियां और उसे अपने बच्चो के अच्छी शिक्षा दिलाना मुश्किल हो जाता है…
बेटियो को विवाह के लिए नही बल्कि बेटियो को मजबूत बनाने के लिए उचित शिक्षा और हुनर जरूर सीखना।।