जाने कब रात ढले

जाने कब रात ढले

जाने कब रात ढले
सुबह तक कौन जले
दौर पर दौर चले,
दिल पर हाथ रखो कि
थम जाये, दिल की धड़कन,

देख जल जायेंगे हम
इस तबस्सुम की कसम
अब निकल‌ जायेगा दम
तेरी बांहों में सनम,

आओ लग जाओ गले
कम हो सीने की जलन,
इश्क से कह दो
कही से ले आये सावन
प्यास भड़की है
सरे शाम से जलता है बदन🔥♥️

गुस्सा हूँ तुम पर,
नाराज भी हूँ,,
तेरी ज़िन्दगी मे नही हूँ,
इसका गम है मुझे.,
मगर तेरी ऑखो में,
मै आज भी हूँ,,
तेरी सोच मे मै, हूँ,,
खबर…. है… मुझे….
तु मान या ना मान,,
तेरी तन्हाईयो के मुस्कान मे हूँ मै,,
तेरी उदासी का राज भी हूँ,,
हा मै तेरी खामोशी भी हूँ,,
और हां तेरा सुकून भी हूँ मैं,,

तुम मेरे जो नहीं तो कोई गम नहीं
हो गए ग़ैर के तो गंवारा नहीं
फेरी थीं उंगलियां बाल में जब मेरे,
तबसे जुल्फों को मैंने सँवारा नहीं..

बन्धनों में कभी प्यार होता नहीं
प्यार खुद एक बन्धन तो होता ही है
न ही मेहंदी लगी न ही फेरे हुए,
तुझको है ये ख़बर तू कंवारा नहीं…

अब आज़माने का दौर नहीं ..

अब आज़माने का दौर नहीं ..
तेरे उल्फत में बिखरे हैं ऐसे …
की अब सिमटने का दौर नहीं ..

अब कुछ तुझे समझने का जरिया नही..
भर लो अपने आगोश में ऐसे ..
की तुम बिन अब ज़ीने का जरिया नही ..

मयकशी के हालत में ..
मुद्दतों के बाद मयस्सर हो जाते हो ..
होश आये तो तुम कहीं के मुसाफ़िर नजर आते हो..
एक‌ ही कर लो मंजिल की अब तुम बिन मेरा गुज़ारा नहीं ..

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