प्याजके पकोड़े
गंवई पृष्ठभूमि से जुड़े लोग अपनी यादों को अपने जेहन से नहीं निकाल पाते हम लोगों के लिए बारिश का मौसम होता था प्याज के पकोड़े खाने का खास समय।शायद अब शहर में इन सब चीजों को लोग जरूर कहीं ना कहीं याद कर कर ही संतोष कर लेते हैं
अगर बारिश का मौसम हो शनिवार और रविवार छुट्टी का दिन शाम का समय है तो घर में प्याज के पकोड़े ही बनते है।
आज राजधानी पटना में मानसून ने अपना बेहतर आगाज कर लिया है शनिवार का दिन भी है शाम का समय भी रुक रुक कर बारिश हो रही है कोई बड़ा कार्यक्रम भी आज शहर में नहीं है इसलिए घर में ही ठिकाना है। और घर में तैयार हो रहा है प्याज का पकोड़ा जिसे हमारे इलाके में पियाजू बोलते हैं।
क्यों बोलते हैं इसलिए कि इसमें प्याज की मात्रा 80 फ़ीसदी होती है बाकी 20 फ़ीसदी में बेसन कटा हुआ हरा मिर्च धनिया का पत्ता लहसुन अदरक पेस्ट और बाकी मसाले होते हैं। सबसे मजेदार होती है इन दिनों आम और पुदीने के चटनी के साथ रिमझिम फुहार के बीच प्याज के पकोड़े खाने का सुख।
हमारे इलाके में प्याज के पकोड़े खूब फेमस है खासकर उत्तर बिहार में यूपी के सीमावर्ती इलाकों तक में पर यह पकौड़े बरसात के मौसम में ही ज्यादा पसंद किए जाते हैं बरसात के समय में सब्जियां कम ही मिलती हैं हरी सब्जी नाम मात्र की इसीलिए प्याज के पकोड़े ज्यादा बनते हैं और लोग पसंद भी करते हैं
आपके छोटे-मोटे बाजार में भी शाम के समय में प्याज बिकते हुए नजर आ जाएंगे हालांकि बाजार में बिकने वाले प्याज के पकोड़े में चंपई रंग डाला जाता है जिससे यह ज्यादा आकर्षक नजर आते हैं
पर घर में जो बनता है उसमें किसी भी प्रकार के रंग का इस्तेमाल नहीं होता सरसों के तेल में बने पकौड़े कुछ ज्यादा ही टेस्टी होते हैं उत्तर भारत में लोग सरसों के तेल को ज्यादा पसंद करते हैं जबकि दक्षिण भारत में नारियल तेल और अब तो सब जगह रिफाइन ही ज्यादा इस्तेमाल होता है।
प्याज का पकोड़ा बनाना आसान इसके लिए अतिरिक्त किसी चीज की जरूरत नहीं होती प्याज ही सबसे अहम चीज होती है हरी मिर्च मसाले सरसों का तेल और बेसन हालांकि अब घर में भी जो पकौड़े बनते हैं उसमें सूजी और पिसा हुआ चावल मिलाया जाता है इससे ज्यादा स्वादिष्ट पकौड़े बनते हैं।
