प्रेम तो अंनत है ..
प्रेम तो अनंत है ना ख़त्म होने वाला ..
और गहराई से बढ़ने वाला ..
अनंत सीमाओं तक ….
तुम्हारे लिए तो संक्षिप्त नहीं होना चाहिए..
छूआ है मेने तुम्हारे अंतर आत्मा को ..
तो ना होंगा उपर की परत से प्यार या फिर कहे मोह ..
जो की शिघ्रता से विलीन होने वाला ..
करो जो प्यार परमात्मा की खोज की तरह …
तुम भी आतुर रहना मेरी आवज सूनने
तडफ उठना मुझे देखने के लिये ..
मेरी तरह ..
मेने भरा आंखों मे तुम्हे काजल की तरह ..
जो ना होता जुदा मुझ से ख्याबो की तरह .
जो आते मुझे जगाने तेरी तरह ..
शायद मेरा थोडा भी वजूद छू गया हो .
तुम्हे गहराइयों तक कुछ बाकी ना राहा खाली जाम की तरह..
अफसोस ना करना कभी ..
प्यार करना हो तो करो दो परिंदो की तरह ..
जो निश्छल प्रेम करते खुले आसमान में ..
अलग अलग दो होकार एक हमसफर की तरह …

मेरा मानना था, कि पत्नी के साथ प्रेम वासना और उसकी सभी जरूरत यदि मैं पूरा करूं तो जीवन अच्छे से कटेगा और मैं पूरी तरह से तैयार था शादी करने के लिए
मैं मेरा खुद का व्यापार है, तो मुझे ऐसी लड़की चाहिए थी, जो स्मार्ट हो व्यापार में मेरा काम सम्भाल सके, 10 लोगो के साथ उठना बैठना हो तो उसे तरीका आता हो
कई लड़की छटने के बाद अंजली से मेरी शादी हुई , अंजली दिखने एम किसी परी से कम नहीं थी, सुन्दर के साथ दिमाग भी,
और मैं तो पहले ही तैयार थे, शादी के 3 महिनें तो मैने उसे खूब खुश रखा, हमारे बीच जिस्मानी संबंध बहुत अच्छे थे, मुझे ऐसा लगता था कि मुझे ऐसी लड़की मिल गई है जो बिना बोले मेरी जरूरत समझती है, एक अच्छे शादी शुदा रिश्ते के लिए शारीरिक सुख का होना बहुत जरूरी है,
लेकिन हर चीज की एक मियाद होती है धीरे धीरे सेक्स से भी मन हटने लगा था,
और काम के दबाव की वजह से भी ये करने का मन नहीं करता था
लेकिन असली दिक्कत अब शुरू हो रही थी
मैडम की डिमांड थी, की मैं अपने मां बाप के साथ एक अलग फ्लैट में रहूं
मैने बोला क्यों, ऐसा क्या दिक्कत है, तो उधर से जवाब आता मुझे प्राइवेसी चाहिए, और जो मम्मी पापा के रहते पॉसिबल नहीं है
मैने बोला अरे कैसी प्राइवेसी अपना घर है, अपना कमरा है जैसे मन रहो
तो वो बोलती है तुम्हे जितना आसान लगता है उतना नहीं है , मैने पूछा कैसे
उसने बोला तुम घर में क्या पहनते हो
मैने जवाब दिया निक्कर और बनियाईं
हां तो मैं नहीं पहन सकती है अगर तुम हो तो पहन लूंगी पर मम्मी पापा के सामने नहीं
तुम्हे जैसे मन करता है तुम वैसे रहते हो, लेकिन मुझे दिन भर कुर्ती लेगिंग सलवार सूट ये सब पहनना होता है
मैने मैडम से तुरंत बोला तो क्या इसमें तुम comfortable नहीं हो ?
उनका जवाब था हूं लेकिन जितना शर्ट्स और t shirt me रहती hun उतना नहीं हूं,
देखो मैं जब घर( मायके) जाती हूं तो पापा हो या मम्मी आराम से निक्कर और t shirt पहन के सोफा पर बैठ जाती हूं
लेकिन यह मुझे मर्यादा में रहन पड़ता है, कहने को तो अपना घर है पर फिर भी ऐसा लगता है जैसे किसी public place पर हूं
मुझे भी लगा यार बात तो सही कह रही है ये
मैने इस बारे में अपने मां पापा से बात की पापा को तो कोई आपत्ति नहीं थी पर मां राजी नहीं हुईं
और उन्होंने कहा कि मेरा घर है बहु को मेरे हिसाब से रहना होगा
अब मैं इस आपत्ति में फंसा हुआ हूं कि मां मेरी अपनी है जिसने मुझे जन्म दिया है
पत्नी वो है जिसके साथ आगे की पूरी जिंदगी कटनी है
अब शादी को 8 महीने ही हुए हैं पत्नी चाहती है कि मैं अलग रहूं छोटे कपड़े पहनु मां चाहती हैं कि पत्नी उनके हिसाब से रहे इस लिए दोनों में काफी अनबन होती है जसिका खामियाजा मुझे भुगतना पड़ता है
इसी दौरान मेरी नजर एक दिन मैडम के फोन पर गई, और इंस्टाग्राम खुला हुआ था, जिसमे एक कपल जो iit से पढ़ा लिखा था रील बना कर ये बता रहा था कि क्यों लोगो को अपने मां बाप से अलग रहना चाहिए
एक बार स्क्रॉल किया तो नई रील आई उसने बता था कि कैसे सा ससुर के रहने से लड़कियों की आजादी छिन जाती है
तीसरी बार किया तो एक रील आई जिसमें ये बात रहा था कि कैसे मां बाप से अलग रहने पर आपस में प्यार बढ़ता है
मैं तुरंत इनकी समस्या समझ गया, कि वास्तव में दिक्कत प्राइवेसी, प्यार का काम होना नहीं है
दिक्कत है आज कल के क्रिएटर जो कुछ भी मन में आए वो बना देते हैं
मैने सोचा इस बारे में की भले बना तो रहे हैं पर बात तो सही बोल रहे
फिर मैने अलग अलग source से ये जाने की कोशिश की कि मां बाप क्या चाहते हैं
जवाब मिला मां बाप अपने बुढ़ापे में बस हमारा साथ चाहतें हैं, व्यापारिक background होने की वजह से अलग अलग लोगो के माता पिता से जान उन्हें बस हमारी उपस्थिति चाहिए और कुछ नहीं
ये बात सुनकर मैं स्तब्ध था और सोचा किसी भी कीमत पर मां बाप को छोड़ना सही नहीं है
बल्कि सही लड़की से शादी करना ज्यादा जरूरी है, और लड़की हो या लड़का या बच्चे या मां बाप उन्हें इन बे फिजूल के रील वाले कल्चर से अलग ही रखना चाहिए
उस दिन के बाद से मैने अपनी पत्नी को साथ में ऑफिस लेके आया, देखता जब भी वो रील देखती मैं उसे कोई काम देता वो फोन नीचे रखती
ऑफिस में बड़े डॉक्टर आते उन्होंने भी रील से होने वाले नुकसान को बताया
धीरे धीरे रील देखना बंद हो गया और पत्नी का अलग घर में रहना और प्राइवेसी ना मिलना वाला दिक्कत भी खत्म हो गया
आज भी कभी कभी उन्हें छेड़ने के लिए बोल देता हूं कि अलग घर ले लेते हैं तुम्हे छोटे कपड़े पहनने में दिक्कत होगी
तो मुझे आंख दिखाने लगती है