फर्क, पत्नी और प्रेमिका में।।।।
लें गया जिस्म
लगा गया दाग
तोड़ गया चूड़ियां
मर गया मेरा हर ख्वाब
सुनो शरीफजादो….
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बेचती हूँ अपने जिस्म को
महज़ रोटी के लिए !
सोती हूँ सैकड़ों के साथ
घर चलाने के लिए !
ना जाने क्यों ये दुनिया
मुझे तवायफ बोलती है !
कभी कुछ भी तो नहीं किया
हवस मिटाने के लिए !
खुद की भूख मिटाने के लिए
जमाने को सुख दिया मैंने !
कभी नकाब नहीं पहना
अपना सच छुपाने के लिए !
तुम सब क्या जानोगे मेरा दर्द
कभी खून के आंसू भी रोती हूं
अपना दर्द छुपाने के लिए !
फिर भी कोई भी नहीं आता
मुझ को चुप कराने के लिए..

पत्नी से ज्यादा सहन शक्ति किसी मे नही होती…
अक्सर पुरूष चकित रहते हैं कि प्रेमिका इतनी स्वीट और पत्नी इतनी खड़ूस क्यों होती है…
तो सुनो-
- बारिश में प्रेमिका को उधार की बाईक और रूपया मांगकर भी लांग ड्राइव पर ले जाते हो जबकि पत्नी के आते ही अमीर हो जाने पर भी उससे बारिश होने पर चाय पकौड़ी बनवाना ही याद आता है ।
- कभी थकी- हारी पत्नी ना कह देती है तो तुम्हारे अहम को इतना चोट लगती है कि सुबह तक मुँह फुलाए घूमते हो जबकि प्रेमिका के आगे 365 दिन भी गिड़गिड़ाने पर कुछ़ हासिल नहीं हो तो वो संस्कार समझकर उसपर और प्यार लुटाते हो और डबल मान- मनौव्वल शुरू कर देते हो ।
- प्रेमिका को गार्डन , रैस्टोरेंट , पब , रिसोर्ट…सुंदर से सुंदर और खर्चीली जगह ले जाते हो और पत्नी के आते ही उसे मुंडन, जनेव , विवाह , पूजा- पाठ , बीमार की सेवा , श्रद्धांजलि सभा में … सारी ज़िम्मेदारी निभाने के लिए ले जाते हो ।
- प्रेमिका को सर से पाँव तक घूरते रहने में आँखें नहीं थकती और हर इंच और हर मौके के लिए शायराना कम्पलिमेन्टस् होता है और पत्नी के लिए शिकायत – कितना देर लगाती हो तैयार होने में।
- प्रेमिका का फ़ोन चौबीस घ॔टे में चौबीस बार भी आए तो वो केयर लगता है जबकि दिन में पत्नी का दो फ़ोन इन्क्वायरी लगने लगता है ।
- अपने भले अपने माँ- बाप का सेवा नहीं की होंगी लेकिन पत्नी से यही उम्मीद होती है कि वो चौबीस घंटे में से अड़तालीस घंटे उसके पूरे परिवार के सेवा में गुजरे ।
यही फर्क है पत्नी और प्रेमिका में।।।।
