
मेरी सुहागरात कैसी थी
किया कोई पुरुष इतना भी समझदार हो सकता है ✍️…….
मेरी कहानी मेरी जुबानी ✍️…….

महज चौदह वर्ष की उम्र थी हंसती खेलती चहचहाती चिड़ियों की तरह उछलती कूदती जब मैं एक दिन घर आई तो मेरी मां ने मुझसे कहा तुम अब यहां वहा ज्यादा मत करो तुम्हारा व्याह तय हो चुका है 😔😔
मुझे सुन कर अच्छा नहीं लगा मैं बहुत उदास हो गई सोचने लगी ये किया हो गया फिर अपने दिल को समझाने लगी और सोचने लगी मेरी किसी भी सखी सहेली का व्याह नही हुआ है और मेरा व्याह तय हो गया है l
मुझे बाहर घूमना फिरना अब अच्छा नहीं लगने लगा ये सोच कर किया बोलूंगी मैं अपनी सखियों को 😔
फिर अचानक लड़का एक दिन मुझे देखने आया मैं घर में ही थी मुझे पता लगा वो लड़का देखने आया है जिससे मेरा व्याह होने वाला थाl मेरे दिल में एक तूफान सा जगा मैं जल्दी से देखने गई लेकिन मुझे लड़का नहीं दिखा वो बाहर के बैठक में बैठा था
एक ही घर था एक ही बैठक थी खुले आंगन में किचन था माँ ने मुझे चाय बनाने को कहा घर में चीनी चायपत्ती भी नही थी याद है मुझे मेरी माँ ने परोशियो से दस रुपए उधार लेकर चीनी चायपत्ती और
मैं आंगन में खुले आसमान के नीचे चूल्हे के पास बैठी सोच रही थी पानी उबल रही थी माँ ये ले गुडिया चाय बना कर जल्दी अंदर जा मेरी माँ ये बोलकर लड़के के पास चली गई
मैं चाय लेकर घर के अंदर गई माँ को पता चला तो वो लड़के को आंगन में लेकर आई उसे चेयर दिया और खुद बांस के मचान पर बैठ गई तभी हमारे यहां एक ही चेयर था वो भी मेहमानो के लिए
मैं घर में थी माँ की आवाज आई गुडिया चाय लेकर आओ सुनकर मैं थरथरा गई फिर चाय और बिस्किट प्लेट में लेकर बाहर आई लडके को चाय दिया मैने प्रणाम किया उसने कुछ नही बोला बस मुझे सगुण के तौर पर ५०१ रुपया दिया झुकी पलको से मैं एक नजर उसे देखने के लिए जैसे ही अपनी आंखो को उपर किया झट से मेरी पलके नीचे हो गई वो मुझे ही घूर रहा था 🙄
फिर उसने मेरा टेस्ट लिया तुम्हारा नाम किया है घर कहा है खाना किया बनाती हो वगेरह वगेरह…. फिर कहा ठीक है जाओ झट से मैं घर के अंदर गई वहा से लडके को देखी लड़का मुझे ठीक ठाक ही लगा लेकिन मुझे उनकी उम्र काफी ज्यादा लग रहा थी
कुछ ही दिनों बाद मेरे व्याह की तारीख आई लड़का कोई दहेज भी नही मांगा ये सब इतना जल्दी हो गया मुझे पता भी नही चला व्याह का एक महीना बचा था एक दिन गांव की एक महिला आई मैं आंगन में ही बैठी थी अचानक से वो बोली
लड़का बहुत अच्छा है उसका पिता सर्विस में है घर मकान जमीन सब है अगर उसकी पत्नि जिंदा होती तो किया जरूरत थी उसे सादी करने की खैर अब एक साल के बच्चे को गुडिया ही पालेगी हमारी गुडिया बहुत समझदार है 😔
ये सुनकर मानो मेरी पैरों तले जमीन खिसक गई ये किया हो रहा है उस महिला के जाने के बाद मैने माँ से पूछा किया ये सच है माँ ने कहा हाँ बेटी
हम गरीब लोग है अच्छे रिश्तों के लिए बहुत से पैसे चाहिए तुम्हारे पापा कहा से लाएंगे इतने पैसे तू किस्मत वाली है जो तुझे ये लड़का मिल रहा है
फिर मैने पापा से पूछा उसने भी यही कहा 😌
मैं अंदर ही अंदर टूट गई मैं एक जिंदा लाश की तरह बन गई जो जैसे बोलता वैसे करती थी घर में सबसे बड़ी थी भाई भी छोटा था जो मुझे समझ सकता
विवाह के दिन मुझे हल्दी कासा का लेप लगाया गया सब खुस थे सिवा मेरे सभी मुझसे मजाक कर रही थी मुझे कोई फर्क नहीं पर रहा था मेरे अंदर की आत्मा मार चुकी थी 😔
मेरे विवाह में भोज था दाल चावल आलू परवल की सब्जी पापड़ बेसन की कढ़ी और पकोड़े मुझे खिलाने ले जाया गया अपनी सादी की भोज खा ले बेटी पता नही अपने मां बाप के घर का खाना कब तुझे नसीब हो थोड़ी सी मैने खाई मुझे खाया नही जा रहा था
मेरी सच्ची कहानी रो रो कर आपको बता रही हूँl
😭😭 मेरी आंखों से आंसू बंद नहीं हो रही है अभी 😭😭😭
रात को एक बजे बारात आई सभी बाराती नाचते कूदते आए खाने को लेकर बारातियों में झगड़ा हो गया आधे से ज्यादा बाराती बिना खाए चले गए
लड़के को मंडप पर लाया गया मुझे भी बिठाया गया विवाह कराते पंडित ने सुबह कर दी फिर मेरी बिदाई होने लगी
मैं बहुत रो रही थी सभी रो रहे थे मुझे कार में बिठाया गया मेरे पिताजी ने लडके को ग्यारह हजार रुपया दिया और कहा आपको दहेज तो नही दे पाऊंगा लेकिन मेरी तरफ से ये सगुण रखिए और मेरी बेटी का खयाल रखियेगा
लड़का रुपया लेने से इंकार कर रहा था सभी के जिद पर उसने रुपया पकड़ा और मेरे साथ गारी में बैठ गया मैं घूंघट के अंदर से सब देख रही थी और मायूस थी
सभी रोकर कर मेरी बिदाई कर रहे थे गाड़ी आगे बढ़ी और सीधा उनके दरवाजे पर जाकर रुकी
वहा मेरी स्वागत के लिए अलग ही इंतजाम था सभी ने अच्छा स्वागत किया दिन भर मुझे गांव की महिलाएं देखने आती रही सभी एक ही बात बोल रही थी पहली वाली से ये बहुत सुंदर है
शाम को हम दोनो को पंडाल में बिठाया गया सभी खाना खाकर आते थे मुझे देखते थे गिफ्ट 🎁 देते थे और लडके के कान में कहते थे तुम्हारी किस्मत बहुत अच्छी है किसी को एक नही मिलती तुम्हे दो मिली
मैं थक गई थी कुछ समझ नहीं आ रहा था रात को दो बजे तक सभी फ्री हो गए मुझे आराम करने अपने कमरे में सोने दिया कुछ देर में लड़का भी मेरे साथ सोने आया मैं घबरा गई वो मुझे टच करने की कोशिश करने लगा
मैं रोने लगी मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था फिर उसने मुझे उठाकर बिठाया और समझाया तुम डरो मत मैं तुम्हे कुछ नही करूंगा
ये सुन कर मैं थोड़ी हल्की हुई फिर कहा मैंने तुमसे व्याह किया है इसलिए की तुम मेरे बच्चे की देखभाल कर सको जबतक तुम मुझे दिल और मन से पति ना मान लो मैं तुम्हें स्पर्श भी नही करूंगा
लेकिन तुम बस मेरी बच्ची को अच्छी सीख अच्छा संस्कार और अच्छा परवरिश देने की कोशिश करना कभी उसे माँ की कमी ना होने देना
तुम जो चाहो वो होगा अगर मैं तुम्हें पसंद नहीं तो मैं खुद तुम्हारी दूसरा व्याह करवाऊंगा इतना कह कर वो उसी बेड पर
दूसरी तरफ घूम कर सो गया हम दोनो के बीच एक बंधन सी बंध गई 🤝
आज इस बंधन को दस वर्ष पूरे हो गए उसकी बेटी भी बड़ी हो गई और हमने अबतक अपना कोई बच्चा नहीं लिया और वो अबतक मुझसे अलग है
वो बाहर परदेश में रहता है अपनी कमाई का तीन हिस्सा रुपया मुझे भेजता है जिससे मैं अपना और बच्ची का गुजारा करती हूँl
कभी वो वर्ष में आता है कभी दो वर्ष में फोन तो दूर की बात है सामने होने पर भी कभी रोमांटिक नही हुआ मेरे साथ जबरदस्ती नहीं की शायद उस रात के बंधन की वजह से
किया कोई लड़का इतना भी समझदार हो सकता है अपने बंधन अपने वादों पर इतना कायम रह सकता है आपको किया लगता है
इस बार वो होली में परदेश गया है अगले महिने आने वाला है बोल रहा था यहां काम नहीं चल रहा है घर में ही कुछ करूंगा मैंने भी कहा हाँ आ जाइए कब तक बाहर रहेंगे
मैं जानना चाहती हूँ कि क्या कोई इंसान इतना भी समझदार हो सकता है
अब मुझे किया करना चाहिए दोस्तों
🙏🙏😔 प्लीज आपलोग बताइए
मेरी कहानी मेरी जुबानी