यौन संबंधों में परस्पर सहमति
यौन संबंधों में परस्पर सहमति हीं चरमसुख प्राप्त होने की पहली शर्त है जिसे हम सभी को अनदेखा नहीं करनी चाहिए।
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हम सभी ये बात जानते हैं कि यौन सम्बन्ध का लक्ष्य और परिणाम सन्तान को जन्म देना ही होता है। महिलाओं के साथ चाहे बलात्कार के द्वारा योनि में शुक्राणु पहुँचे या प्रेम पूर्वक, सम्भोग द्वारा, यदि शरीर क अन्य स्थितियाँ ठीक हैं तो पेट में गर्भ ठहर सकती है।
आपसी सहमति से स्त्री और पुरुष के द्वारा सम्भोग क्रिया करने पर उन्हें जो सुख प्राप्त होता है वह प्रकृति द्वारा हम सब को दी गई पुरस्कार है। इसी सुख को पाने के लिए हम सभी बार-बार सम्भोग करते और बच्चों को जन्म देते है। परन्तु इस क्रिया में दोनों की सहमति सबसे अधिक महत्त्व रखती है।
स्त्री या पुरुष के साथ जोर जबर्दस्ती से किया गया भोग प्रत्येक दृष्टि से निन्दनीय और गैर कानूनी है। ऐसा कार्य करने वालों का मानसिक अशान्ति और आन्तरिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। कानून के अनुसार दण्ड मिलने की सम्भावना भी पूरी होती है।
प्रकृति द्वारा लड़को और लड़कियों के शरीर में किशोरावस्था आते ही ऐसे हार्मोन्स बनने लगते हैं जो उनके अंगो को सुन्दर, सम्मोहक तथा शक्तिशाली बनाते हैं।
प्रकृति किशोरियों में इन हार्मोन्स के द्वारा उन्हें ‘माँ’ बनने योग्य बनाने लगती है और किशोरों को वैर्य् उत्सर्जन करने योग्य। इससे उनके कामांगों का विकास होने लगता है और मनोमस्तिष्क में विपरीत लिंग वाले के लिए प्रेम, उत्सुकता तथा आकर्षण।

वो पी कर मधुशाला शहर कि तमाम..
वो पी कर मधुशाला शहर कि तमाम…!!
अब इल्जाम शराब पर लगाते है…
जो नशा चढ़ा था, पीके आंखों को उसकी…
जो नशा चढ़ा था, पीके आंखों को उसकी…!!
वो हम तुझ में ढूंढने आते हैं…
हल्का ना पड़ जाए नशा उसका…
हल्का ना पड़ जाए नशा उसका…!!
इक उसके मुझसे दूर जाने के बाद….
इसीलिए तो हम हर रोज तेरे दर पर नजर आते हैं…!!
देख लिया मधुपान करके सारे महखानो का….
देख लिया मधुपान करके सारे महखानो का…!!
किसी में भी वो नशा कहाँ….
था जो उसकी दो आंख के प्यालो का…!
अब चाहे लोग कहें शराबी भले ही मुझे…
अब चाहे लोग कहें शराबी भले ही मुझे…!!
मगर सच तो यह है कि एक उसके सिवा…
कोई और नशा हमें चढ़ा ही कहाँ…
अब बस भूलने को यादों को उसकी…
अब बस भूलने को यादों को उसकी…!!
हम जाम तेरा होठों से लगाते हैं…!!
हम जाम तेरा होठों से लगते हैं…….✍️