सम्भोग का सुख

सम्भोग का सुख

सम्भोग का सुख

बिस्तर पर पति को सम्भोग का सुख देते समय स्त्री को किन किन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है

शायद ये समझ पाना पुरुषों के वश में नहीं है। उनकी गालियां सुनना, धक्के खाना,

हर धक्के पर बढ़ते दर्द को चुपचाप सहन करना और अपनी आहों से पुरुष को संतुष्ट करना स्त्री के जीवन का एक हिस्सा है।

जब पुरूष स्त्री को पीछे से ,आकर पकड़ता है और उसके कानों को धीरे से सहलाता है तब स्त्री उस मादक स्पर्श में खो जाती है।

हर अत्याचार को भूलकर वो पुरूष के अधीन स्वयम को कर देती है और फिर तैयार हो जाती है सब पुरानी बातें दोहराने को।

इस मिलन की शाम को आप सब रंगीन बनाएं,प्रेम बनाये रखें,और अपनी महिला साथी को चरमसुख अवश्य दें क्योंकि पुरुष तो हर संभोग क्रिया में संतुष्ट हो जाते हैं और महिला बिना चरम सुख के ही रह जाती है।

यदि पुरुष का ऑर्गेज़म (वीर्य स्खलन) पहले हो जता है तब ऐसी स्थिती में पुरुष पार्टनर को चाहिए कि बह उंगली से हस्तमेथुन करा कर महिला साथी को चरम सुख तक ले जाए तभी सेक्स या संभोग सम्पूर्ण होता है। कुछ लोगों को ये बात बुरी लगेगी लेकिन ये हकीकत है।

इसकी जानकारी तो सभी को है लेकिन फिर भी पुरुष हल्के होने के बाद सो जाना पसंद करते हैं महिला पार्टनर पर स्खलन के बाद ध्यान ही नहीं देते।

एक पुरुष जब किसी स्त्री से प्रेम करता है तो वह उसका सर्वस्व चाहता है। उसका प्रेम, ईर्ष्या, सुख, दुख, सब कुछ पर सिर्फ अपना अधिकार चाहता है। पुरुष अपने प्रिय स्त्री के आंसू भी किसी के साथ साझा नहीं करना चाहता।

कुछ लड़किया ऐसी होती हैं, जिन्हे शारीरिक सुख ना मिले तो वो पागल होने लगती है, मैं भी उन्ही में से एक थी
ऐसा नहीं है की कैरेक्टर खराब बल्कि ये पर्सन टू पर्सन डिपेंड करता है

24 साल की उम्र में मेरी शादी हो गई और मेरी एक दोस्त जो मेरे साथ कॉलेज में थी दोनो की साथ ही शादी हो गई

पर व्यवहार में दोनो एकदम अलग थे वो शर्मीली थी मैं नतखड चुलबुली थी
हम दोनो की शादी अच्छे परिवार में हुई
पर मेरे पति कुछ ज्यादा हैंडसम और दिलदार आदमी थे

सब सही चल रहा था शादी के कुछ समय तक,
लेकिन जैसे जैसे जिम्मेदारी बढ़ रही थी वैसे वैसे घर पर काम भी बढ़ने लगा था,

जिसकी वजह से थकान और थकान की वजह से हमारे बीच कुछ हो नहीं पाता था, और हम दोनो फ्रास्टेड फील करते थे
धीरे धीरे 1 साल हो गया, लेकिन हमारे बीच प्राइवेसी जैसा कुछ भी नही था, इंतजार करना पड़ता कब लोग सोए और हम कुछ करें

पर समय के साथ साथ ये भी मुमकिन नहीं होता था क्यों की लरिवार की जिम्मेदारी एक बड़ी बात है

तो मैंने अपने पति से बोला अलग रहने को, जिससे हम दोनो एक दूसरे को समय दे सकें मेरे पति इस बात के खिलाफ थे, उन्होंने बोला की ये मुमकिन नहीं है

पर मैं जिद करती रही और मेरी इस जिद की वजह से घर में कुछ ना कुछ होता रहता मैं घर अपने हिसाब से चलाना चाहती मेरी सासू मां अपने हिसाब से

अंत में थक कर वो हमे बुलाती हैं और झगड़ा शांत करने को कहती हैं

पर मैं चाहती थी की मुझे प्राइवेसी मिले अपने पति के साथ टाइम बिता सकूं

कुछ समय बाद मेरे पति भी दिल्ली ने बंगलोर ट्रांसफर लेते हैं ये दिन मेरे लिए किसी आजादी से कम नहीं था अब हम जो चाहे वो कसर सकते थे

पहले कुछ महीने पतिदेव का मूड ऑफ रहता था लेकिन धीरे धीरे सब सही हो गया

अब हम संबंध बनाने के लिए प्राइवेसी ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ती और इसी में एक दिन मेरा पीरियड्स मिस हो गया जांच कराई तो पता चला मैं पेट से हूं ये अनप्लान था सब और मैं काफी घबरा गई थी।

मैने अपनी सहेली को फोन किया, और बताया ये सब तो वो खुश हो गए और बोली मैं भी प्रेग्नेट हूं 1 महीने से

उसने मुझे बोला प्रिजेनेसी नाजुक चीज है, अपने ससुराल या मायके आजो मैने बोला ठीक है देखते हैं

फिर मैने सास को फोन कर के बताया वो बहुत खुश हुई और तुरंत बोलने लगी या तुम आजो या मैं आती हूं

मैने बोला अभी आना पॉसिबल नही उन्होंने बोला तो मैं आती हूं

फिर मैंने बोला आप क्यों परेशान होंगी सब मैनेज हो जाएगा इस बात का मेरी सास को बुरा लगा पर क्या ही कर सकते हैं

समय बीतता गाया और मुझे दिक्कत्थे होती गई जब मैं अपनी दोस्त को फोन करती, तो वो बताते कैसे उसके परिवार वाले उसका ख्याल रख रहे, मुझे ईर्ष्या होने लगी फिर मैंने बात करना कम किया

पतिदेव सुबह ऑफिस जाते और रात में घर आते

धीरे धीरे डिलीवरी का समय आया तो उस टाइम सास aagayai लेकिन दो दिन बाद वापस चली गई शायद पिछली बार उन्हें मना किया था वो बात उनके दिल पर लग गई थी

समय के साथ मैं घर आई और अपनी सहेली से बात करना शुरू किया, जैसे जैसे बात होती और वो मुझे बताने लगी की कैसे उसकी सास उसका और बच्चे का ध्यान रखती कैसे उसके दादा बच्चा जब रात में रोता तो उसे कंधे पर लेके घूमते

जब घर में ज्यादा काम होता तो चाचा और बुआ उसे संभालते थे

ये सब सुनकर मुझे लगा की मैंने एक बहुत बड़ी गलती की है, अलग होकर परिवार की अहमियत क्या होती है अब समझ में आ रहा था पर मैं शर्मिंदा थी अपने किए पर और इस बार भी मेरा ego मेरे सामने आरा था, मुझे लग रहा था किस मुंह से वापस जाऊं क्योंकि अब गई तो लगेगा बच्चा पालना है तो वापस आगया

तभी मेरे ससुर का फोन मेरे पति के पास आता है और वो। वीडियो कॉल पर बच्चे को देखने के बोलते हैं

काफी देर खुशी से उसे खेलाया और खिलाते खेलते उनके आंखों में आंसू थे, उन्होंने बोला

उतना दूर हो बेटा कोरा में भी नही ले सकते मेरे पति ये सब देख रहे थे पर कुछ बोल नहीं पाए और उदास मन के साथ सो गए।

तभी अगली सुबह उठते हैं और बोलते हैं चलो 3 4 दिन के लिए घर पर, मैने कुछ बोला नहीं और जल्दी से तैयार हुई

शाम को फ्लाइट पकड़ कर वापस गए पर किसी को इस बारे में पता नही था

जैसे हम घर में घुसे सब खुश हो गए पापा जी जो ठीक से चल नहीं पाते थे जब वो हमे सामने से आता देखा तो अपनी छड़ी फेंक दी और दौड़ के आए बच्चे को मेरे गोद से ले लिया और हंसते हंसते सास को बुलाते अंदर चले गए

सास ने देखा तो उनके आंखों में भी आंसू थे सब बहुत खुश थे, 3 दिन मेरे साथ बिल्कुल वैसे हुआ जैसे मेरे सहेली के साथ होता था जब चौथा रोज हुआ मैने अपने पति से दबे मन से पूछा की कब चलाना है तो उन्होंने जवाब दिया

अब वहा नही जाना है, तुम्हे हर चीज में दिक्कत होती है, तो तुम्हे खुद को सुधारने की जरूरत है

मैं अपने मां बाप से उनका पोता दूर रख कर उनके हक को और अपने बच्चे को दादा दादी के प्यार से वंचित कर के उसके हक को मारना नही चाहता

एक बार फिर पतिदेव पे अचानक से प्यार आया की यही तो मैं चाहती थी पर भावनाओं को कंट्रोल कर के मैने कुछ बोला नहीं

आज कल हर लड़की चाहती है की वो शादी के बाद अलग रहे जहां सिर्फ वो हो और उसका पति हो यकीन मानो तुम्हे बहुत पछताना पड़ेगा क्यों की तुमसे भी ज्यादा उसके दादा दादी उसे प्यार करने और उसकी किलकारी सुनने के लिए आतुर होंगे

जो भी लड़की ऐसा सोचती है जैसा मैने सोचा और अलग रही मेरे जीवन की सबसे बड़ी भूल थी ये

मैं मानती हूं परिवार के साथ रहना में थोड़ी मर्यादा का ध्यान रखना जरूरी है, और आजादी भी छीन जाती है

लेकिन मेरा यकीन मानिए परिवार के साथ रहने के फायदे के आगे ये आजादी छिन जाए तो अब मुझे कोई फर्क नही पड़ता

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