सासू मां ने अपनी बहू से बोला,
“बहू तुमने कमरे में एसी चलती छोड़ दी और बाहर घूम रही हो,क्या बिल नहीं आएगा?”
तुम लोगों को बिल भरना पड़ता तब पता चलता।
तब सब कुछ वक्त पर बंद होता।
अभी तो ससुर जी बिल भरते हैं ना, तो क्यों बिजली के बिल की चिंता क्यों करोगी?
बहु चुपचाप कमरे में एसी बंद करने के लिए चली गई।
पति को लगा की कहीं नई नवेली पत्नी को मां की बातों का बुरा न लग जाए, इसलिए वह उसके पीछे पीछे गया और उससे बोला,
” मां की बातों का बुरा मत मानना “
“अरे इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है”। मेरे मायके में भी जब भी हम इस तरह से पंखा या एसी चलाकर घूमते थे तो मेरी मम्मी भी यही बोलती थी, कि तुम लोगों को बिल भरना पड़ता तब पता चलता , अभी तो पापा बिल भरते हैं, इसलिए तुम लोग मजे करते हो और किसी चीज का ध्यान नहीं रखते और यही बात यहां मम्मी ने बोली।
गलती तो हमारी है कि हम लापरवाही करते हैं। पति बहुत खुश हुआ, कि चलो मेरी पत्नी काफी समझदार है।
सासू मां भी कमरे के बाहर खड़ी होकर पति-पत्नी की बातें सुन रही थी, क्योंकि उन्हें भी लगा था कहीं उनकी बातों का बुरा मान कर कहीं उनकी बहू उनके बेटे को उनके खिलाफ भड़का है ना दे ।
लेकिन उन्हें भी तसल्ली हुई कि उनकी बहू काफी समझदार है।
इसी तरह एक दिन सासू मां काफी देर से फोन पर बातें कर रही थी और उनका खाना ठंडा हो रहा था।
खाना खाने के बाद उन्हें दवाइयां भी लेनी थी,तो बहू ने चुपचाप उनके हाथों से फोन ले लिया और बोला,
“मम्मी पहले आप खाना खाकर दवाइयां ले लीजिए ,फिर फोन पर बात करते रहिएगा”
सासू मां ने तीखी नजरों से बहू को घूरा और बोला,
” बहु तुम बहू हो तो बहू बनकर रहो, मेरी सास बनने की कोशिश मत करना”
हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी मेरे हाथों से मोबाइल लेने की। आइंदा ऐसी गलती मत करना।
कहकर सासू मां वहां से चली गई
बहु को की आंखों में आंसू आ गए थे।
थोड़ी देर के बाद सासू मां रसोई घर की तरफ पानी लेने के लिए जा रही थी की उन्हें बहू की बातें सुनाई पड़ी
बहू रसोई घर में अपनी मां से फोन पर बातें कर रही थी और बोल रही थी,

“मां मैं तो सासू मां को आपकी तरह ही अपनी मम्मी मानती हूं, और उनकी किसी भी बात का बुरा नहीं मानती। जैसे आप मुझे डांटती थी वैसे ही वह भी मुझे डांटती है और मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगता, क्योंकि आखिर वह भी मेरी मां है। लेकिन मम्मी वह मुझे अपनी बेटी की तरह नहीं मानती।”
मैं आपके हाथों से फोन लेकर पहले खाना खाने के लिए जब भी बोलती थी, आप कितने प्यार से मेरे सिर पर हाथ रखकर बोलती थी, “मेरा कितना ख्याल रखती है तू”
लेकिन जब सासू मां के साथ इसी हक से मैंने फोन लेकर खाना खाने की बात कही तो सासु मां ने मुझे बहुत जोर से डांटा और बोला,
“बहु हो तो बहू बनकर रहो, सास बनने की कोशिश मत करो”
मम्मी मैं तो बस इतना चाहती थी कि वह वक्त पर दवाई ले लें।
लेकिन मम्मी आज मुझे समझ में आ गया ,
बहु चाहे कितनी भी कोशिश कर ले सास ससुर को मां-बाप मानने की,
लेकिन सास ससुर कभी भी बहु को बेटी जैसा प्यार और हक नहीं दे सकते, बल्कि वह हमेशा उसे एक बाहरी सदस्य ही समझेंगे।
खैर मैं तो अपनी तरफ से आगे भी कोशिश करती रहूंगी। अब सासू मां की मर्जी कि वह मेरे साथ कैसा व्यवहार करती है।
कम से कम मुझे यह तसल्ली तो रहेगी कि मैंने अपनी तरफ से हर हर मुमकिन कोशिश की है,इस घर को अपनाने की ।
लेकिन अगर एक सीमा के बाद भी मुझे नहीं अपनाया जाएगा तो फिर मैं भी स्वतंत्र रहूंगी अपने फैसले लेने के लिए।
क्योंकि आखिर मेरा भी एक आत्मसम्मान है।
सासू मां ने रसोई के बाहर खड़ी होकर यह सारी बातें सुनी और उन्हें अपनी गलती का एहसास भी हुआ।
उन्हें समझ में आ गया कि यदि रिश्तो को बचाकर रखना है तो अपने व्यवहार में सुधार लाना पड़ेगा और बहू को उस घर की बहू होने का सम्मान देना पड़ेगा।
क्योंकि रिश्ते दोनो तरफ से चलते हैं ,एकतरफा रिश्ते बस ढोए जाते हैं
और सासू मां ने बहु को गले से लगा लिया और बोला,
” बेटा आज से तू ही मेरी दवाइयां टाइम पर दिया करेगी और अगर मैं देर करूं तो मुझे अपनी मम्मी की तरह डांट लगाकर दवाइयां खिला देना”
क्योंकि अब तुम ही इस घर की बहू हो और इस घर की जिम्मेदारी तुम्हारी ही है
इस घर को बनाना और बिगड़ना अब तुम्हारे हाथों में है । बस यह समझ लो मैं हर कदम पर तुम्हारे साथ हूं।
सासू मां ने अपनी समझदारी से रिश्तो को बिखरने से पहले बचा लिया और साथ ही अपनी गलती भी सुधार ली और एक परिवार टूटने से बच गया।
सासू मां ने अपनी बहू से बोला,
“बहू तुमने कमरे में एसी चलती छोड़ दी और बाहर घूम रही हो,क्या बिल नहीं आएगा?”
तुम लोगों को बिल भरना पड़ता तब पता चलता।
तब सब कुछ वक्त पर बंद होता।
अभी तो ससुर जी बिल भरते हैं ना, तो क्यों बिजली के बिल की चिंता क्यों करोगी?
बहु चुपचाप कमरे में एसी बंद करने के लिए चली गई।
पति को लगा की कहीं नई नवेली पत्नी को मां की बातों का बुरा न लग जाए, इसलिए वह उसके पीछे पीछे गया और उससे बोला,
” मां की बातों का बुरा मत मानना “
इस पर बहू ने बोला,
“अरे इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है”। मेरे मायके में भी जब भी हम इस तरह से पंखा या एसी चलाकर घूमते थे तो मेरी मम्मी भी यही बोलती थी, कि तुम लोगों को बिल भरना पड़ता तब पता चलता , अभी तो पापा बिल भरते हैं, इसलिए तुम लोग मजे करते हो और किसी चीज का ध्यान नहीं रखते और यही बात यहां मम्मी ने बोली।
गलती तो हमारी है कि हम लापरवाही करते हैं। पति बहुत खुश हुआ, कि चलो मेरी पत्नी काफी समझदार है।
सासू मां भी कमरे के बाहर खड़ी होकर पति-पत्नी की बातें सुन रही थी, क्योंकि उन्हें भी लगा था कहीं उनकी बातों का बुरा मान कर कहीं उनकी बहू उनके बेटे को उनके खिलाफ भड़का है ना दे ।
लेकिन उन्हें भी तसल्ली हुई कि उनकी बहू काफी समझदार है।
इसी तरह एक दिन सासू मां काफी देर से फोन पर बातें कर रही थी और उनका खाना ठंडा हो रहा था।
खाना खाने के बाद उन्हें दवाइयां भी लेनी थी,तो बहू ने चुपचाप उनके हाथों से फोन ले लिया और बोला,
“मम्मी पहले आप खाना खाकर दवाइयां ले लीजिए ,फिर फोन पर बात करते रहिएगा”
सासू मां ने तीखी नजरों से बहू को घूरा और बोला,
” बहु तुम बहू हो तो बहू बनकर रहो, मेरी सास बनने की कोशिश मत करना”
हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी मेरे हाथों से मोबाइल लेने की। आइंदा ऐसी गलती मत करना।
कहकर सासू मां वहां से चली गई
बहु को की आंखों में आंसू आ गए थे।
थोड़ी देर के बाद सासू मां रसोई घर की तरफ पानी लेने के लिए जा रही थी की उन्हें बहू की बातें सुनाई पड़ी
बहू रसोई घर में अपनी मां से फोन पर बातें कर रही थी और बोल रही थी,
“मां मैं तो सासू मां को आपकी तरह ही अपनी मम्मी मानती हूं, और उनकी किसी भी बात का बुरा नहीं मानती। जैसे आप मुझे डांटती थी वैसे ही वह भी मुझे डांटती है और मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगता, क्योंकि आखिर वह भी मेरी मां है। लेकिन मम्मी वह मुझे अपनी बेटी की तरह नहीं मानती।”
मैं आपके हाथों से फोन लेकर पहले खाना खाने के लिए जब भी बोलती थी, आप कितने प्यार से मेरे सिर पर हाथ रखकर बोलती थी, “मेरा कितना ख्याल रखती है तू”
लेकिन जब सासू मां के साथ इसी हक से मैंने फोन लेकर खाना खाने की बात कही तो सासु मां ने मुझे बहुत जोर से डांटा और बोला,
“बहु हो तो बहू बनकर रहो, सास बनने की कोशिश मत करो”
मम्मी मैं तो बस इतना चाहती थी कि वह वक्त पर दवाई ले लें।
लेकिन मम्मी आज मुझे समझ में आ गया ,
बहु चाहे कितनी भी कोशिश कर ले सास ससुर को मां-बाप मानने की,
लेकिन सास ससुर कभी भी बहु को बेटी जैसा प्यार और हक नहीं दे सकते, बल्कि वह हमेशा उसे एक बाहरी सदस्य ही समझेंगे।
खैर मैं तो अपनी तरफ से आगे भी कोशिश करती रहूंगी। अब सासू मां की मर्जी कि वह मेरे साथ कैसा व्यवहार करती है।
कम से कम मुझे यह तसल्ली तो रहेगी कि मैंने अपनी तरफ से हर हर मुमकिन कोशिश की है,इस घर को अपनाने की ।
लेकिन अगर एक सीमा के बाद भी मुझे नहीं अपनाया जाएगा तो फिर मैं भी स्वतंत्र रहूंगी अपने फैसले लेने के लिए।
क्योंकि आखिर मेरा भी एक आत्मसम्मान है।
सासू मां ने रसोई के बाहर खड़ी होकर यह सारी बातें सुनी और उन्हें अपनी गलती का एहसास भी हुआ।
उन्हें समझ में आ गया कि यदि रिश्तो को बचाकर रखना है तो अपने व्यवहार में सुधार लाना पड़ेगा और बहू को उस घर की बहू होने का सम्मान देना पड़ेगा।
क्योंकि रिश्ते दोनो तरफ से चलते हैं ,एकतरफा रिश्ते बस ढोए जाते हैं
और सासू मां ने बहु को गले से लगा लिया और बोला,
” बेटा आज से तू ही मेरी दवाइयां टाइम पर दिया करेगी और अगर मैं देर करूं तो मुझे अपनी मम्मी की तरह डांट लगाकर दवाइयां खिला देना”
क्योंकि अब तुम ही इस घर की बहू हो और इस घर की जिम्मेदारी तुम्हारी ही है
इस घर को बनाना और बिगड़ना अब तुम्हारे हाथों में है । बस यह समझ लो मैं हर कदम पर तुम्हारे साथ हूं।
सासू मां ने अपनी समझदारी से रिश्तो को बिखरने से पहले बचा लिया और साथ ही अपनी गलती भी सुधार ली और एक परिवार टूटने से बच गया।